ग्रन्थ श्री समता प्रकाश

ग्रन्थ श्री समता प्रकाश

यह अद्भुत विचार अगम वाणी श्री सतगुरुदेव महात्मा ‘मंगतराम’ जी महाराज जी के मुख-वाक्यामृत हैं, जो उन्होंने तमाम विश्व के कल्याण के वास्ते परगट फ़रमाए हैं।श्री महाराज जी ने जन्म-सिद्ध स्वरूप में संसार के उद्धार की ख़ातिर भिन्न-भिन्न स्थानों पर बिगड़े हुए हालात को मद्देनज़र रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रसंगों में तमाम वाणी उच्चारण फ़रमाई और हाज़िर ज़माने की जनता को ‘समता’ यानी एकता (जो परम कल्याण स्वरूप है) के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हुए जो उपदेश फरमाए वे वाणी एवं वचनों के एकत्रित स्वरूप में ‘ग्रन्थ श्री समता प्रकाश’ एवं ‘ग्रन्थ श्री समता विलास’ के रूप जगत कल्याण हेतु उपलब्ध हैं। यहाँ पर ग्रन्थ श्री समता प्रकाश में सतगुरुदेव महात्मा मंगतराम जी महाराज जी की अमर वाणी पद्यांश रूप में प्रस्तुत है। तमाम सज्जन इस सहज, सरल, अगम-शिक्षा को अपना करके अपने जीवन की उन्नति करें।
ॐ ब्रह्म सत्यम सर्वाधार।

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संगत समतावाद धर्मशाला – हरिद्वार
हिमालय डिपो, गली न.1, श्रवण नाथ नगर, हरिद्वार (उत्तराखण्ड)