श्री सतगुरुदेव मंगतराम जी महाराज

SAT GURUDEV

The Beginning of History

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श्री सत्गुरुदेव महात्मा ‘मंगतराम जी’ महाराज वर्तमान युग के जन्म सिद्ध सत्पुरुष हुए हैं। आपका जन्म 24 नवम्बर 1903 शुभ दिन मंगलवार को ग्राम गंगोठियां ब्राह्मणा जिला रावलपिण्डी (पाकिस्तान) में एक कुलीन कसाल ब्राह्मण वंश में हुआ। आपके पिता श्री का नाम पंडित गौरी शंकर जी और माता जी का नाम श्रीमती गणेशी देवी था। आपको तीन वर्ष की अल्पायु में परमात्मा की पूर्ण सूझ-बूझ थी। आप बाल्यकाल से ही सादगी, विनम्रता, कुशाग्र बुद्धि एवं भक्ति के प्रतिमूर्ति थे तथा दयालुता, धीरता, उदारता और क्षमा के प्रतीक थे।

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Mahamantra

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।। महामंत्र ।।

ओउम् ब्रह्म सत्यम् निरंकार अजन्मा अद्वैत पुरखा सर्व व्यापक कल्याण मूरत परमेश्वराय नमस्तं ।।

।। भावार्थ ।।

वह पार ब्रह्म परमेश्वर पहले भी सत्य था, अब भी सत्य है और आगे भी सत्य ही रहेगा। वह अमर तत्व आकार रहित है। वह जन्म मरण से भिन्न शक्ति है। वह परम तत्व केवल अद्वैत ब्रह्म (जिस के समान दूसरा नहीं है) ही तीन काल विद्यमान है। जो सब का आधार है तथा शरीर रूपी पुरी में आत्मा करके वास करता है, उसे पुरखा कह कर पुकारा गया है। वह सब स्थानों और घटों में समानरूप से रमा हुआ है। ऐसे कल्याणकारी परमेश्वर को नमस्कार है"।

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Samta Literature

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संगत समतावाद धर्मशाला – हरिद्वार
हिमालय डिपो, गली न.1, श्रवण नाथ नगर, हरिद्वार (उत्तराखण्ड)