सत् परायणता का ननश्च य दृ ढृढ़ करने का आदेश इस भयानक नानस्तकवाद के ज़माने में जबनक आम मानुषों ने जीवन कत्र्तव्य केवल शारीररक भोग ही समझ रखा है , और अनत भोग वासना में आरढ़ हुए-हुए अनधक भोग पदार् ा प्र ाप्त करने के यत् न में नदन रात परेशान रहते हैं; न ही…
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